Wednesday, February 5, 2025
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J&K Budget 2023: केंद्र ने जम्मू कश्मीर के लिए खोला पिटारा, पढ़ें क्या है इस बार के बजट में खास

जम्मू-कश्मीर के लिए रिकॉर्ड 118500 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। बजट राशि में वर्ष 2022-23 के मुकाबले साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। 

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए पिटारा खोल दिया है। अब प्रदेश में विकास पूरी गति से दौड़ेगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए रिकॉर्ड 118500 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। बजट राशि में वर्ष 2022-23 के मुकाबले साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। 

पिछले साल 1.13 लाख करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था। लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के चलते केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट नहीं पेश कर सकीं। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने प्रदेश का बजट लोकसभा में प्रस्तुत किया। हालांकि, इस पर चर्चा नहीं हो सकी। बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य व बिजली क्षेत्र पर खासा जोर दिया है।

लोकसभा में पेश बजट के अनुसार सुशासन, बुनियादी लोकतंत्र को मजबूत बनाने, सतत कृषि का संवर्धन, निवेश व औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन, त्वरित विकास, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा पर जोर है। इसके साथ ही पांच साल में जीडीपी को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा गया है। बजट में सामान्य प्रशासन विभाग में 560.86 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है, जो पिछले साल की तुलना में 6.66 प्रतिशत अधिक है। 

गृह विभाग में पिछले साल की तुलना में 5.63 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 10314.22 करोड़ रुपये, सूचना में 1.28 प्रतिशत की वृद्धि से 122.05 करोड़, संसदीय कार्य में 71.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 59.59 करोड़, विधि में 19.98 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 932.58 करोड़, राजस्व में 0.98 प्रतिशत की कटौती के साथ 830.54 करोड़, आतिथ्य एवं प्रोटोकाल में 4.21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 239.37 करोड़ और आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास में 1.73 प्रतिशत की कटौती के साथ 1009.82 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

सामाजिक सेक्टर

शिक्षा में 8.92 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 12000.18 करोड़, खाद्य, नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता मामले में 2.90 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 236.21 करोड़, स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा में 5.05 प्रतिशत की कटौती के साथ 6264.75 करोड़, सामाजिक कल्याण में 19.55 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3538.72 करोड़, लेखन सामग्री एवं प्रिंटिंग/श्रम एवं रोजगार में 3.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 111.13 करोड़, उच्चतर शिक्षा में 5.97 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1540.68 करोड़, जनजातीय कार्य में 7.85 प्रतिशत की कटौती के साथ 121.91 करोड़, संस्कृति में 22.51 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 97.38 करोड़, युवा सेवाएं एवं तकनीकी शिक्षा में 2.73 प्रतिशत की बृद्धि के साथ 669.48 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

अवसंरचना सेक्टर (राजस्व व्यय)

विद्युत विकास के लिए 0.37 प्रतिशत की कटौती के साथ 4388.24 करोड़, लोकनिर्माण कार्य में 10.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1327.60 करोड़, आवास एवं शहरी विकास में 2.45 प्रतिशत की कटौती के साथ 1297.51 करोड़, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण में 3.66 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 717.58 करोड़, जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग में 5.07 प्रतिशत की कटौती के साथ 1838.12 करोड़, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में 36.92 प्रतिशत की कटौती के साथ 13.02 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

आर्थिक सेक्टर (राजस्व व्यय)

खनन में 78.35 करोड़, उद्योग एवं वाणिज्य में 19.52 प्रतिशत की कटौती के साथ 347.44 करोड़, कृषि उत्पादन में 2.63 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1308.00 करोड़, पशु/भेड़पालन में 0.97 प्रतिशत की कटौती के साथ 669.08 करोड़, पर्यटन में 1.05 प्रतिशत की कटौती के साथ 215 करोड़, वन में 1.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1568.52 करोड़, मत्स्य पालन में 0.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 111.57 करोड़, ग्रामीण विकास 0.30 प्रतिशत की कटौती के साथ 748.34 करोड़, परिवहन में 2.36 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 107.39 करोड़, बागवानी में 3.06 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 161.52 करोड़, सहकारिता में 59.62 प्रतिशत की कटौती के साथ 71.20 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

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