Wednesday, March 12, 2025
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जम्मू कश्मीर एलजी: बख्शे नहीं जाएंगे कब्जा करने वाले रसूखदार, चार माह के भीतर होंगी बीस हजार भर्तियां

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान में किसी गरीब को तंग नहीं किया जाएगा, लेकिन ऐसे किसी रसूखदार को बख्शा भी नहीं जाएगा जिसने अपने पद या अन्य लाभ लेकर अवैध कब्जे किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वापस ली गई सरकारी जमीन को आम आदमी के कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

बिजली उत्पादन, अतिक्रमण हटाओ अभियान और संपत्ति कर पर कुछ लोगों ने प्रदेश की जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। जो लोग कर देने में सक्षम हैं, वही दूसरों को उकसा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की एक बड़ी आबादी कर के दायरे में नहीं आ रही है।

यह बातें उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को कन्वेंशन सेंटर जम्मू में जम्मू-कश्मीर राज्य कर विभाग, द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंटस ऑफ इंडिया के सहयोग से करवाई जा रही दो दिवसीय जीएसटी संगोष्ठी और कर जागरूकता पहल कर्तव्य कार्यक्रम में कहीं।

साथ ही आश्वासन दिया कि अतिक्रमण हटाओ अभियान में किसी गरीब को तंग नहीं किया जाएगा, लेकिन ऐसे किसी रसूखदार को बख्शा भी नहीं जाएगा जिसने अपने पद या अन्य लाभ लेकर अवैध कब्जे किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वापस ली गई सरकारी जमीन को आम आदमी के कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

इससे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और खेल सुविधाएं आदि विकसित की जाएंगी। अभी हम दूसरे राज्यों से बिजली खरीद रहे हैं, लेकिन आने वाले वर्षों में बिजली उत्पादन में जम्मू कश्मीर को खुद सक्षम बनाने की ओर काम किया जा रहा है।

नियामक अनुपालन को सरल बनाने के लिए राज्य कर विभाग द्वारा व्यवस्थित दृष्टिकोण से राजस्व में वृद्धि हुई है, जो हितधारकों को व्यापार करने में आसान बना रही है। जम्मू कश्मीर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहा है।

यह नागरिकों और व्यावसायिक उद्यमों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे क्षमता का दोहन करें और जम्मू कश्मीर के आर्थिक विकास को गति दें। सुधार और नीतियां आम आदमी के संरक्षण और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करती हैं। 

जीएसटी ने वन नेशन, वन टैक्स और राज्यों को गारंटीकृत राजस्व प्रवाह के सपने को साकार किया। प्रत्येक करदाता को राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। क्षमता को अनलाक करना और जम्मू कश्मीर के आर्थिक विकास को गति देना नागरिकों और व्यावसायिक उद्यमों की सामूहिक जिम्मेदारी है।

हमें 100 प्रतिशत जीएसटी कर कवरेज का लक्षय प्राप्त करना चाहिए। कई माफी योजनाओं का विस्तार किया गया। इस दौरान कर्तव्य पत्रिका और पुस्तिका के अनावरण के साथ प्रदेश के प्रमुख दस करदाताओं को प्रशंसा पत्र सौंपे गए। इस दौरान मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता, राज्य कर विभाग की आयुक्त डा. रश्मी सिंह, रंजीत कुमार अग्रवाल आदि मौजूद रहे।  

तीस हजार लोगों को मिली नौकरी 

उप राज्यपाल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में तीस हजार से अधिक सरकारी पदों को भरा गया है। अगले 3-4 माह में और 20 हजार पद विज्ञापित किए जाएंगे। सरकारी नौकरियों में जिन लोगों ने गलत किया है, उनके खिलाफ संविधान और कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है। कई मामले सीबीआई के पास हैं।    

अगले छह माह में 18 औद्योगिक संपदाएं स्थापित होंगी

उप राज्यपाल ने दावा किया कि दो साल में 66000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। पिछले छह माह में हर दिन एक औद्योगिक व्यावसायिक इकाई ने अपना संचालन शुरू किया है। उद्योगों के लिए अधिक भूमि विकसित की जा रही है। नई औद्योगिक नीति का जम्मू कश्मीर के लोग भी अधिक से अधिक लाभ लें। अगले पांच वर्ष कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के विस्तार किया जा रहा है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए भूमि को द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आफ इंडियट् की मांग पर उपराज्यपाल ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए भूमि आवंटित की जाएगी।

 जम्मू कश्मीर में संपत्ति कर अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम

उप राज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के शहरी क्षेत्र में 520000 घर हैं। इनमें से 206000 घर 1000 वर्ग फुट से कम हैं यानी उन पर कोई संपत्ति कर नहीं लगेगा। शहरों, ग्रामीण और धार्मिक स्थलों में 40 प्रतिशत आबादी पर कोई कर नहीं होगा।


203600 घर 1500 वर्ग फुट से कम के हैं और इनमें से 80 प्रतिशत परिवारों को प्रति वर्ष 600 रुपये से कम का भुगतान करना होगा। यह राशि शिमला, अंबाला और देहरादून की तुलना में 10वां हिस्सा है। शहरी क्षेत्रों में 101000 में से 46000 दुकानें 100 वर्ग फुट से कम की हैं और उन्हें 700 रुपये प्रति वर्ष का भुगतान करना होगा।

इन दुकानों में 80 प्रतिशत को मामूली 600 रुपये प्रति वर्ष और 50 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा। 30000 दुकानों को 2000 रुपये प्रति वर्ष से कम कर का भुगतान करना होगा और इनमें 20000 को 1500 रुपये से कम का भुगतान करना होगा। यह राजस्व सीधे नगर पालिकाओं और निगमों के खाते में जाएगा।

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