कस्बे से सटी पंचायत दस्काल में बनी सब्जी और फल मंडी प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के कारण 10 वर्षों बाद भी शुरू नहीं हो पाई है। इसे बनाने में सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए। इसके बावजूद मंडी को शुरू नहीं किया गया। विभिन्न संगठन प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि यह मंडी शुरू की जाए।
पंचायत दस्काल में वर्ष 2013 में बनी मंडी में प्रथम चरण में 57 दुकानें और दूसरे चरण में 28 दुकानें प्रस्तावित हुई थीं। इसमें अभी तक 47 दुकानें बनकर तैयार हुई हैं। प्रशासन और योजना व विपणन विभाग ने मंडी शुरू करने के लिए कई बार अखनूर और जम्मू के व्यापारियों के साथ बैठक की और मंडी शुरू करने की रूप रेखा तैयार की। प्रशासन मंडी शुरू करने की चार बार कोशिश भी की। इसके बाद भी मंडी शुरू नहीं हुई। इस मंडी से छोटे किसानों को फसलों का सही पैसा मिलने की उम्मीद थी।
स्थानीय कुलदीप शर्मा ने बताया कि 10 वर्षों से मंडी शुरू न होने पाने का कारण प्रशासन की लचर प्रणाली है। सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर मंडी बनाई। अब सरकार को चाहिए कि मंडी शुरू करे। वहीं, सरपंच जगदीश राज ने कहा कि यह सब्जी मंडी शोपीस बनकर रह गई है। प्रशासन के कई बार प्रयास के बावजूद मंडी शुरू नहीं हो सकी। मंडी शुरू होने से किसानों को सब्जी और फलों का सही दाम मिल सकता था। ऐसा न होने से किसान और व्यापारी निराशा हैं।
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सब्जी और फल व्यापारियों से तालमेल कर कई बार मंडी शुरू करने की रूपरेखा तैयार की गई। इसके बावजूद मंडी शुरू नहीं हो सकी। इस पर दोबारा प्रयास किया जा रहा है।